महाजनपद – उत्तर प्रदेश का प्राचीन इतिहास

महाजनपद – उत्तर प्रदेश का प्राचीन इतिहास: कई महाजनपद उत्तर वैदिक काल (ल. 1100 ई.पू) से विकसित होने लगे थे, जिसमें कुरु राजवंश, कोसल राजवंश, पाञ्चाल राजवंश, विदेह राजवंश, मत्स्य राजवंश, चेदि राजवंश, प्राचीन मगध और गांधार राजवंश शामिल थे। 700 से 600 ई.पू. के बीच यह जनपद और प्राचीन राजवंश महाजनपदों मे विकसित होने लगे थे।

ईसा पूर्व छठी सदी में वैयाकरण पाणिनि ने 22 महाजनपदों का उल्लेख किया है। इनमें से तीन – मगध, कोसल तथा वत्स को महत्वपूर्ण बताया गया है।

आरम्भिक बौद्ध तथा जैन ग्रंथों में इनके बारे में अधिक जानकारी मिलती है। यद्यपि कुल सोलह महाजनपदों का नाम मिलता है पर ये नामाकरण अलग-अलग ग्रंथों में भिन्न-भिन्न हैं। इतिहासकार ऐसा मानते हैं कि ये अन्तर भिन्न-भिन्न समय पर राजनीतिक परिस्थितियों के बदलने के कारण हुआ है। इसके अतिरिक्त इन सूचियों के निर्माताओं की जानकारी भी उनके भौगोलिक स्थिति से अलग हो सकती है। बौद्ध ग्रन्थ अंगुत्तर निकाय, महावस्तु में 16 महाजनपदों का उल्लेख है। जैन ग्रंथ में भी इनका उल्लेख है,जो इस तरह है:

काशीकोशल
अंग (अङ्ग)मगध
वज्जिमल्ल
चेदिवत्स
कुरुपांचाल (पञ्चाल)
मत्स्य (या मछ)शूरसेन/शूरसैनी (शौरसेनी)
अश्मकअवन्ति
गांधारकंबोज (या कम्बोज)

महाजनपद ( 600 ईसा पूर्व )

चूंकि राजनीति और अर्थव्यवस्था का केंद्र भारत के उत्तर-पश्चिम से पूर्वी राज्यों में स्थानांतरित हो गया, इसलिए महाजनपदों की अवधि को द्वितीय शहरीकरण काल के रूप में भी जाना जाता है।

नगरीय बंदोबस्त और लोहे के औजारों के कारण महाजनपद कहे जाने वाले बड़े प्रदेशों का निर्माण संभव हुआ। छठी से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में महाजनपदों का उदय हुआ। उपजाऊ भूमि की उपलब्धता, फलती-फूलती कृषि, बड़ी मात्रा में लौह अयस्क और लौह उत्पादन में वृद्धि के कारण महाजनपदों का उदय हुआ। गंगा-यमुना नदी की उपस्थिति के कारण पानी की उपलब्धता उत्तर प्रदेश में 16 महाजनपदों में से 8 के विस्तार में एक प्रमुख योगदानकर्ता बन गई।

उत्तर प्रदेश का इतिहास सभ्यता संस्कृति और प्राचीन शहर | History of Uttar Pradesh, Civilization, Culture and Ancient Cities

उत्तर प्रदेश का प्राचीन इतिहास | Ancient History of Uttar Pradesh

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