शिवाजी के प्रशासन में लेखाकार को पुकारा जाता था?

Q. शिवाजी के प्रशासन में लेखाकार को पुकारा जाता था?

(1) सुरूनावीस

(2) मजूमदार

(3) पंडितराव

(4) दबीर

(5) अनुत्तरित प्रश्न

Answer: 2

मजूमदार या अमात्य – अमात्य राज्य के आय-व्यय का लेखा जोखा तैयार करके उस पर हस्ताक्षर करता था।

सर विलियम जोन्स ने चन्द्रगुप्त मौर्य का समीकरण निम्न में से किससे किया?

शिवाजी के अष्टप्रधान का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

पेशवा – यह राज्य के प्रशासन एवं अर्थव्यवस्था की रेख-देख करता था तथा राजा की अनुपस्थिति में राज्य की बागडोर संभालता था। उसका वेतन 15,000 हूण प्रतिवर्ष था।

सर-ए-नौबत (सेनापति) – इसका मुख्य कार्य सेना में सैनिकों की भर्ती करना, संगठन एवं अनुशासन और साथ ही युद्ध क्षेत्र में सैनिकों की तैनाती आदि करना था।

मजूमदार या अमात्य – अमात्य राज्य के आय-व्यय का लेखा जोखा तैयार करके उस पर हस्ताक्षर करता था। उसका वेतन 12,000 हूण प्रतिवर्ष था।

वाकयानवीस – यह सूचना, गुप्तचर एवं संधि विग्रह के विभागों का अध्यक्ष होता था और घरेलू मामलों की भी देख-रेख करता था।

शुरुनवीस या चिटनिस – राजकीय पत्रों को पढ़ कर उनकी भाषा-शैली को देखना, परगनों के हिसाब-किताब की जाँच करना आदि इसके प्रमुख कार्य थे।

दबीर या सुमन्त (विदेश मंत्री) – इसका मुख्य कार्य विदेशों से आये राजदूतों का स्वागत करना एवं विदेशों से सम्बन्धित सन्धि विग्रह की कार्यवाहियों में राजा से सलाह और मशविरा आदि प्राप्त करना था।

सदर या पंडितराव – इसका मुख्य कार्य धार्मिक कार्यों के लिए तिथि को निर्धारित करना, ग़लत काम करने एवं धर्म को भ्रष्ट करने वालों के लिए दण्ड की व्यस्था करना, ब्राह्मणों में दान को बंटवाना एवं प्रजा के आचरण को सुधारना आदि था। इसे ‘दानाध्यक्ष’ भी कहा जाता था।

न्यायधीश – सैनिक व असैनिक तथा सभी प्रकार के मुकदमों को सुनने एवं निर्णय करने का अधिकार इसके पास होता था।उपर्युक्त अधिकारियों में अन्तिम दो अधिकारी- ‘पण्डितराव’ एवं ‘न्यायधीश’ के अतिरिक्त अष्टप्रधान के सभी पदाधिकारियों को समय-समय पर सैनिक कार्यवाहियों में हिस्सा लेना होता था।

उस अंग्रेज का नाम बताइए जिसने 1857 के विद्रोह को “राष्ट्रीय विद्रोह” कहा था?

निम्नलिखित में से कौन फ्रांस के कॉडेलियर्स क्लब’ का सदस्य नहीं था?

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