Who were Doongji and Jawaharji? डूंगजी और जवाहरजी कौन थे?

Doongji and Jawaharji (Kaka and Bhatija) of the east Sikar region were the great and well-known rebels before the war of 1857. They fought against the Bikaner and Jodhpur British forces. They become immortalized in songs due to their sacrifices.

Important Points:

  • The biggest Revolution against the British took place in 1857, which spread countrywide.
  • It was supported by the common people; hence it is called India’s first war of independence.
  • The revolt of 1857 was not a result of an event or cause but it was the reaction of Indians against the illegal interference of the British in India’s political, social, religious, and economic life.

Impact of Indian war of Independence held on Rajasthan also:

  • Doongji and Jawaharji (Kaka and Bhatija) of the east Sikar region were the great and well-known rebels before the war of 1857.
  • They fought against the Bikaner and Jodhpur British forces.
  • They become immortalized in songs due to their sacrifices.
  • Thus, it is clear that Doongji and Jawaharji fight against Bikaner and Jodhpur states army.

डूंगजी और जवाहरजी कौन थे?

डूंगजी व जवाहरजी चाचा-भतीजा थे। डूंगजी पाटोदा के डुँगजी व जवाहरजी शेखावाटी ब्रिगेड में रिसालदार थे, शेखावाटी ब्रिगेड की स्थापना का उदेश्य शेखावाटी में शांति स्थापना के नाम पर शेखावाटी में पनप रहे ब्रिटिश सत्ता विरोधी विद्रोह को कुचल कर शेखावाटी के शासन में हस्तक्षेप करना था ।

1891 में सीकर के राव राजा रामप्रताप सिंह जी व उनके भाई भैरव सिंह के बीच अनबन चल रही थी, इस विग्रह के सहारे अंग्रेज सत्ता सीकर में अपने हाथ पैर फेलाने में लग गयी शेखावाटी की तत्कालीन परिस्थियों को भांपते ठाकुर डूंगर सिंह जी ने अपने कुछ साथियों सहित शेखावाटी ब्रिगेड से हथियार, उंट, घोड़े लेकर विद्रोह कर दिया और अंग्रेज शासित प्रदेशों में लूटपाट आतंक फेला दिया, इनके साथ अन्य विद्रोहियों के मिल जाने से अंग्रेज सत्ता आतंकित हो इन्हे पकड़ने के लिए उतेजित हो गयी शेखावाटी ब्रिगेड के साथ ही सीकर, जयपुर, बीकानेर, जोधपुर की सेनाएं इनके खिलाफ सक्रिय हो गयी।

1895 में झदवासा गावं के भैरव सिंह गौड़ जो इनका निकट संम्बन्धी था को अंग्रेजो ने आतंक व लोभ दिखा कर डूंगजी को पकड़वाने हेतु सहमत कर लिया, भैरवजी ने छल पूर्वक डूंगर सिंह को अंग्रेजों के हाथों पकड़वा दिया और अंग्रेजों ने डूंगजी को आगरा के लालकिले की जेल में बंद कर दिया इस छलाघात से डूंगजी के साथियों में भयंकर रोष भड़क उठा और आगरा के किले पर आक्रमण की योजना बना ली गयी। योजनानुसार लोठू निठारवाल व सावंता मीणा ने आगरा जाकर साधू के बेश में गुप्त रूप से किले अन्तः बाह्य जानकारी हासिल की।

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